तेरे भुज दण्ड प्रचंड त्रिलोक में रखियो लाज मरियाद मेरी त्वमस्मिन कार्य निर्योगे प्रमाणं हरिसत्तमा राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । नासै रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा अंजनीगर्भ संभूत कपीन्द्र सचिवोत्तम । दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ सोई https://www.instagram.com/reel/DFWTy0gvMKk/
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