जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥ काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
A Secret Weapon For Shiv Chaisa
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